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Why Sustainable Building Matters: Benefits for the Environment and Your Wallet

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  Sustainable Building Matters: Benefits for the Environment and Your Wallet I. Introduction - A civil engineer is a professional who designs, builds, and maintains infrastructure such as roads, bridges, buildings, and water and sewage systems. They use their knowledge of mathematics, physics, and materials science to ensure the safety and functionality of these structures. Civil engineers also take into account factors such as environmental sustainability and cost-effectiveness in their designs. They work closely with other professionals, such as architects, construction managers, and surveyors, to bring their projects to fruition. A. Definition of Sustainable Building- Sustainable building, also known as green building, is the practice of designing, constructing, operating, maintaining, and deconstructing buildings in an environmentally responsible and resource-efficient manner. It involves minimizing the negative impacts of buildings on the environment and human health, while maxim

MICRO IRRIGATION PROJECT ( सूक्ष्म सिंचाई परियोजना ) IN HINDI

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MICRO IRRIGATION PROJECT ( सूक्ष्म सिंचाई परियोजना )   सूक्ष्म सिंचाई परियोजना एक ऐसी प्रणाली को संदर्भित करती है जो सटीक और नियंत्रित तरीके से सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाती है। यह सिंचाई की एक कुशल विधि है जो पानी की बर्बादी को कम करती है और इष्टतम जल वितरण सुनिश्चित करती है। सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को लागू करने में शामिल प्रमुख कदम यहां दिए गए हैं: साइट मूल्यांकन:      उस क्षेत्र का मूल्यांकन करें जहां सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित की जाएगी। मिट्टी के प्रकार, स्थलाकृति, फसल के प्रकार, पानी की उपलब्धता और विशिष्ट सिंचाई आवश्यकताओं जैसे कारकों पर विचार करें। डिज़ाइन और योजना :  साइट मूल्यांकन के आधार पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के लिए एक विस्तृत डिज़ाइन और लेआउट विकसित करें। अपनी आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त सूक्ष्म-सिंचाई प्रणाली का प्रकार निर्धारित करें, जैसे ड्रिप सिंचाई या सूक्ष्म-स्प्रिंकलर। जल स्रोत और आपूर्ति:  परियोजना के लिए जल स्रोत की पहचान करें, जो एक कुआँ, बोरहोल, नदी या जलाशय हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता का आकलन करें कि यह सिंचाई आव

सिविल इंजीनियरिंग व्यवसाय शुरू करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना

 सिविल इंजीनियरिंग व्यवसाय  सिविल इंजीनियरिंग व्यवसाय शुरू करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और निष्पादन की आवश्यकता होती है। यहां कुछ चरण दिए गए हैं जिनका आप अनुसरण कर सकते हैं: अपना आला निर्धारित करें: सिविल इंजीनियरिंग के उन विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करें जिनमें आप विशेषज्ञता चाहते हैं, जैसे डिजाइन, निर्माण प्रबंधन, या परामर्श। एक व्यवसाय योजना विकसित करें: अपने लक्ष्यों, लक्ष्य बाजार, विपणन रणनीतियों और वित्तीय अनुमानों की रूपरेखा तैयार करें। लाइसेंस प्राप्त करें: अपने राज्य में सिविल इंजीनियर के रूप में कानूनी रूप से अभ्यास करने के लिए आवश्यक लाइसेंस और प्रमाणपत्र प्राप्त करें। एक नेटवर्क बनाएँ: उद्योग में अन्य पेशेवरों, जैसे ठेकेदारों, आपूर्तिकर्ताओं और सरकारी एजेंसियों के साथ नेटवर्क। सुरक्षित फंडिंग: अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक पूंजी प्राप्त करने के लिए अपने वित्तपोषण विकल्पों पर विचार करें, जैसे कि ऋण, निवेश या अनुदान। कर्मचारियों को किराए पर लें: जैसे-जैसे आपका व्यवसाय बढ़ता है, आपको अतिरिक्त कर्मचारियों, जैसे परियोजना प्रबंधकों, इंजीनियरों और प्रशासनिक कर्मचारियों को

Centrifugal and Reciprocating Pump in hindi

सेण्ट्रीफ्यूगल तथा रेसिप्रोकेटिंग पम्प में अंतर              सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प में जल  सेण्ट्रीफ्यूगलबल के कारण चढ़ता है जबकि रेसीप्रोकेटिंग पम्प में पिस्टन के दबाव के कारण  जल ऊपर चढ़ता है।   सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प से निस्सरण सतत  होता है जबकि  रेसी प्रोकेटिंग  पम्प में निस्सरण रुक - रुक कर होता है।  सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प सुघड़ (compact ) होते हैं तथा शोर कम करते हैं जबकि  रेसी प्रोकेटिंग  पम्प बड़े  आकार के तीव्र  शोर उत्पन्न करने वाले होते हैं।  सेण्ट्रीफ्यूगलपम्प में चलायमान अवयब काम होते हैं अतः  इनकी मरम्मत तथा रखरखाव का खर्चा काम होता है। इसके विपरीत  रेसी प्रोकेटिंग    पम्प में चलायमान अवयव अधिक होते है अतः  मरम्मत तथा रखरखाव का खर्चा अधिक होता है।   सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प का शीर्ष तथा काम निस्तरण  के लिए दक्ष होतें हैं जबकि अधिक शीर्ष तथा अधिक निस्सरण के लिए  रेसी प्रोकेटिंगपम्प का प्रयोग उचित होता है  सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प की लागत रेसी प्रोकेटिंग  पम्प की तुलना में कम होती है    सेण्ट्रीफ्यूगल पम्प से निलम्बित अशुद्धियों वाला जल तथा सीवेज भी पम्प  किया जा सकता है जबकि  रेसी प्रोकेटिंग पम

Coagulation and coagulation for water in hindi

जल के लिए कोएग्युलेशन एवं स्कंदन            -  पानी में सिल्ट के  बारीक़ कण तथा कोलायडल कण यदि निलम्बित  अवस्था में तो उन्हें साधारण तलछटीकरण क्रिया  से टैंको में नीचे  बैठने के लिए पर्याप्त समय लग सकता हैं।  कोलायडल कण विद्युत् आवेशित होने के कारण हमेशा गतिशील बने रहते हैं और गुरुत्व भार  के कारण कभी नीचे नहीं बैठते।  इन्हें दूर करने के लिए पानी में ऐसे रसायन  (chemicals ) डालने पड़ते हैं जो बारीक निलंबित कणों  को मिलाकर अघुलनशील  तह (insoluble precipitate ) में परिवर्तित कर देते हैं जिसे उर्णिका  (folc  ) कहते हैं।उर्णिका    एक प्रकार से काफी सरे कोलायडल कणों के मिलने से बना एक गुच्छा है जो भारी होने के कारण पानी में जल्दी बैठ जाता है।    उर्णिका की तह धीरे -धीरे नीचे बैठ जाती है।  पानी में ऐसे  रसायनों की क्रिया को स्कंदन (coagulation ) तथा इन रसायनो को स्कंदन (caogulant ) कहते हैं।  इस प्रकार स्कंदन प्रक्रिया से तलछटीकरण क्रिया त तीव्र  हो जाती है और बारीक़ निलम्बित  कण  उर्णिका की परत के रूप में नीचे बैठ जाते हैं।                   इसके अतिरिक्त स्कंदन प्रक्रिया से पानी का रंग ,स्वाद

water sources in hindi

जल के स्त्रोत   जल  मुख्य स्रोतों को मुख्यतया दो वर्गों  में  बाटा  गया है - (i )    पृष्ट  जल स्त्रोत  (surface wa ter  soorces)          (अ ) संचित वर्षा का जल (stored  rain  water )          (ब ) जल धाराएं  (sreams )         (स ) नदिया  (rivers )          (द ) झीलें (lakes )          (य ) परिबद्ध जलाशय  ( impounded  reservoirs )         (र ) नहरें  (canals )  (ii )   भूमिगत स्त्रोत ( graound water sources )          (अ ) झरने (springs )         (ब ) अन्तः स्पंदन गैलरी ( infilteration  gallary )        (स ) सरंध्र   पाइप ( porous  pipes )        (द ) अन्तः स्पंदन कुएँ  ( infilteration  wells )        (य ) नलकूप  (tube  wells )        (र )   कुएं  (wells )       thank you 

types of waterfalls in hindi

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झरने  के प्रकार     भौम   जल जब भूमि की  सतह पर आ  जाता है  तो झरने बनते हैं। सामान्यतया झरने    तीन प्रकार के होते हैं -            (1 ) गुरुत्व  झरने ( Gravity  springs ) -   जब भूमि तल का गिराव सामान्य जल के नीचे  आ जाता है , तब जलग्राही  परत वायुमंडल  के सम्पर्क में आ जाती है , इस प्रकार भूमिगत जल भूमि से बहार निकलने लगता  है , इसे  ही गुरुत्व झरना कहते है।  ऐसा  घाटियों  में अधिक वर्षा के कारण  भूमि जल ताल ऊपर आने  से भी हो जाता  है ऐसे झरनो में जल निरंतर  प्राप्त नहीं होता  है  ।                                             चित्र 3.1   गुरुत्व झरना  (ii) सतही  झरने  ( Surface  Springs ) - किसी   अप्रवेश्य   परत  की रूकावट के कारण  अधोभूमि  जल भूमि की सतह पर बहने लगता है तो झरना बनता है।  ऐसे झरने को सतही झरना कहते हैं।  अप्रवेश्य स्तर  जहाँ भूमि की सतह पर खुलता है , वहाँ  से झरना फूट पड़ता है।  इनसे प्राप्त जल की मात्रा घटती -बढ़ती रहती है।                                                     चित्र 3.2  सतही झरना  (iii ) उत्सुत झरने (Artesian  Springs ) - जब जलग्राही  स्तर दो अप्