प्राकतिक जल चक्र

प्राकतिक  जल चक्र 

वर्षण  से भूमि पर जो जल गिरता है , इसका कुछ भाग भूमि ताल पैर बहता है तथा कुछ भूमि के नीचे चला जाता है।  भूतल का जल नदी - नालो के रूप में भी मिल जाता है।  यह जल सूर्य की प्रखर किरणों से वाष्पितकृत होकर बादलों के रूप में पहुंच जाता है।  भूमि  नीचे का जल  कुछ भूमि के पास रहता है जिसका कुछ भाग वाष्पीकरण से वायुमंडल में चला जाता है जो अंत में नदियों तथा झीलों  के जल से मिल  जाता है।  वर्षा तथा जल के इस चक्र को जलीय चक्र कहते हैं। 




water cycle


          (1 ) अपवाह जल  (Run -off )     वर्षा  के जल का कुछ भाग भूमि तल पर बहकर नदी ,नाले ,झील  इत्यादि में होता हुआ समुद्र  में चला  जाता है।  इसे अपवाह जल कहते है।  वर्षा से प्राप्त अपवाह जल की मात्रा सतह के लक्षणों तथा वायुमण्डली परीस्थियो पर निर्भर करती है।  अपवाह  जल की मात्रा ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करते है- 

     जंहा ,      

 R = c x i                                                                                                                  

R = अपवाह जल की मात्रा

  i =वर्षा के कुल  मात्रा 

 c = अपवाह गुणांक ( run-off-coefficient )          

   

             (ii  ) भौम जल सतह (graund  water table ) - यह भूमि  के नीचे जल - ग्राही सतह की तल रेखा है।, जंहा तक उस स्तर में जल भरा रहता है।  इस ताल से नीचे की मृदा जल से संतृप्त होती है तथा ऊपर की मृदा असंतृप्त।  यह ताल एक झुकाव लिए होता  है तथा  भौम जल इस झुकाव की दिशा में निरंतर मंद -मंद बहता रहता है। 

            (iii )  रिसन (seepage )-  भूमि पर गिरने वाले जल का कुछ भाग मृदा में विद्यमान खली स्थान के बीच होकर लगातार निचे की ओर बहता राहत है तथा भौम जल में जाकर  मिल जाता है।  इस प्रक्रिया को रिसन    ( Seepage  ) कहते हैं।  

          (iv) अवक्षेपण या वर्षण  (precipitation ) - वायुमंडल  में विद्यमान जल - वाष्प अनुकूल परिस्थितियों में संघनित (condense ) होकर विभिन्न रूपों  (forms)  में पृथ्वी पर गिरती है।  यह रूप जलवृष्टि  , हिम वृष्टि , ओलावृष्टि  हो सकते हैं।  इस तरह जल के विभिन्न रूपों में गिरने की  प्रकिया को  अवक्षेपण या वर्षण  कहते है। 

          (v) अन्तः श्रवण ( percolation ) - वर्षा के जल का कुछ भाग मृदा की सरंध्रता (porosity ) एवं अवशोषण (absorption ) गुणता के कारण  भूमि के नीचे जाकर भौम जल के रूप में एकत्र हो जाता है।  कुछ जल चट्टानों की दरार , छिद्र तथा फटानों  के द्वारा भी भूमि  में जाकर भौम जल से मिल जाता है।  इस क्रिया को अंत - स्त्रवण कहते हैं।  वर्षा से अपवाह जल (intensity  of rainfall ) अन्तः श्रवण की दर से ज्यादा हो। 






 







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